बैठ जाता हूँ मिट्टी पर अक्सर, क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगतीहै।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।
इन पंक्तियों को वास्तव में चरितार्थ करने वाले, साहित्य को आम लोगों की आवाज बनाने वाले, शोषित,दलितों एवं स्त्रियों को अपने साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान देने वाले, कलम के जादूगर, उपन्यास सम्राट श्री मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म दिवस 31 जुलाई को ऑनलाइन सत्रों के माध्यम से मनाया गयाl
साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारने वाले, महान साहित्यकार श्री मुंशी प्रेमचंद जी के जन्मदिवस पर कक्षा चौथी एवं पाँचवी के छात्र वीडियो एवं चर्चा के माध्यम से उनके जीवन वृत्त तथा विभिन्न रचनाओं से परिचित हुए l
कक्षा चौथी के छात्रों ने प्रेमचंद जी द्वारा रचित दो बैलों की कथा कहानी को पढ़कर, सुनकर उस पर आधारित गूगल फॉर्म पूर्ण कियाl कहानी के माध्यम से इंसानों और जानवरों के आपसी रिश्ते को समझने में समर्थ हुए तथा इस तथ्य से अवगत हुए कि न केवल मनुष्य बल्कि जानवर भी प्रेम की भाषा को समझते हैंl